जन्मकुण्डली मिलान में आवश्यक
कुंडली मिलन के आवश्यक विन्दु :- वैवाहिक सम्बन्धों की अनुकूलता के परिक्षण के लिए ऋषि-मुनियों ने अनेक ग्रन्थ की रचना की,जिनमें वशिष्ठ,नारद,गर्ग आदि की सन्हीताएं,मुहुर्तमार्तण्ड,मुहुर्तचिन्तामणि और कुण्डलियों में वर्ण,वश्य,तारा,योनि,राशि,गण,भकूट एवं नाडी़ आदि अष्टकूट दोष अर्थात् आठ प्रकार के दोषों का परिहार अत्यन्त आवश्यक है.वर-कन्या की राशियों अथवा नवमांशेशों की मैक्त्री तथा राशियों नवमांशेशियों की एकता द्वारा नाडी़ दोष के अलावा शेष सभी दोषों का परिहार हो जाता है.इन सभी दोषों में नाडी़ दोष प्रमुख है,जिसके परिहार के लिए आवश्यक है कि वर-कन्या की राशि एक ओर नक्षत्र भिन्न-भिन्न हो अथवा नक्षत्र एक ओर राशियां भिन्न हो.
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