राहू-केतु

राहु-केतु ग्रहों को छाया ग्रह के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष की दुनिया में इन दोनों ही ग्रहों को पापी ग्रह भी बोला जाता है। इन दोनों ग्रहों का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता, इसीलिए ये जिस ग्रह के साथ बैठते हैं उसी के अनुसार अपना प्रभाव देने लगते हैं। कुछ ही मौके ऐसे होते हैं जब कुंडली में इनका प्रभाव शुभ प्राप्त होता है। राहु और केतु अगर जातक की कुंडली में दशा-महादशा में हों तो यह व्यक्ति को काफी परेशान करने का कार्य करते हैं। यदि कुंडली में उनकी स्थिति ठीक हो तो जातक को अप्रत्याशित लाभ मिलता है और यदि ठीक न हो तो प्रतिकूल प्रभाव भी उतना ही तीव्र होता है। राहु-केतु के संबंध में पुराणों में कथा आती है कि दैत्यों और देवताओं के संयुक्त प्रयास से हुए सागर मंथन से निकले अमृत के वितरण के समय एक दैत्य अपना स्वरूप बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और उसने अमृत पान कर लिया। उसकी यह चालाकी जब सूर्य और चंद्र देव को पता चली तो वे बोल उठे कि यह दैत्य है और तब भगवान विष्णु ने चक्र से दैत्य का मस्तक काट दिया। अमृत पान कर लेने के कारण उस दैत्य के शरीर के दोनों खंड जीवित रहे और ऊपरी भाग सिर राहु तथा नीचे का भाग धड़ केतु के नाम से प्रसिद्ध हुआ। राहु की वक्री दृष्टि इंसान को संकटापन्न कर देती है। ऐसी स्थिति में मनुष्य की विवेक-बुद्धि का ह्रास हो जाता है तथा जातक उल्टे-सीधे निर्णय करने लगता है। राहु पौराणिक संदर्भों से धोखेबाजों, ड्रग विक्रेताओं, विष व्यापारियों, निष्ठाहीन और अनैतिक कृत्यों, आदि का प्रतीक रहा है। यह अधार्मिक व्यक्ति, निर्वासित, कठोर भाषणकर्त्ताओं, झूठी बातें करने वाले, मलिन लोगों का द्योतक भी रहा है। इसके द्वारा पेट में अल्सर, हड्डियों और स्थानांतरगमन की समस्याएं आती हैं। राहु व्यक्ति के शक्तिवर्धन, शत्रुओं को मित्र बनाने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक रहता है। इसी तरह से केतु बुरी आध्यात्मिकता एवं पराप्राकृतिक प्रभावों का कार्मिक संग्रह का द्योतक है। कुंडली में राहु-केतु ही मिलकर काल सर्पयोग का निर्माण भी करते हैं। केतु स्वभाव से एक क्रूर ग्रह हैं और यह ग्रह तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ और अन्य मानसिक गुणों का कारक माना जाता है। अच्छी स्थिति में यह जहाँ जातक को इन्हीं क्षेत्रों में लाभ देता है तो बुरी अवस्था में यहीं हानि भी पहुंचता है। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से करायें अपनी कुंडली की जांच और जानें कहीं आपकी कुंडली में तो नहीं है राहु-केतु का दोष।

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