पीले पुखराज का राज

मनुष्य जीवन पर जैसे ही ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, वैसे ही उन प्रभावों को कम एवं बढा़ने के लिए रत्नों का महत्व है। नवरत्नों में एक है- पीला पुखराज। जब जन्मकुंडली में गुरु ग्रह नीच राशिगत हो या अशुभ स्थिति में हो तो उसके नकारात्मक प्रभाव को कम करने तथा कमजोर स्थिति में हो तो उसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए पीला पुखराज धारण किया जाता है। गुरु ग्रह की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तो उस समय पीला पुखराज धारण करना अत्यंत लाभकारी होता है। पुखराज किसे धारण करना चाहिए- 1-यदि जन्म कुंडली में गुरु ग्रह केंद्र या त्रिकोण में हो अथवा इनका स्वा्मी हो या लग्नेश हो तब व्यक्ति को पीला पुखराज जरूर धारण करना चाहिए, इससे बहुत लाभ होता है। 2-यदि व्यक्ति की लग्न धनु, कर्क, मेष, वृश्चिक या मीन हो या इन राशियों में से जातक की कोई एक राशि हो तब उसे भी पीला पुखराज धारण करके लाभ उठाना चाहिए। 3-यदि व्यक्ति का जन्म दिन गुरुवार, गुरु पुष्य योग अथवा पुनर्वसु, विशाखा या पूर्वभाद्रपद नक्षत्र में हुआ हो तब पुखराज धारण करना ज्यादा श्रेयष्कर है। पुखराज कैसे धारण करें- पीला पुखराज शुक्ल पक्ष में गुरुवार के दिन धारण करना चाहिए। पुखराज सोने की अथवा अष्टधातु की अंगूठी में पहनना ज्यादा लाभप्रद है। स्नान आदि करने के बाद दाएं हाथ की तर्जनी उंगली में इसे धारण किया जाता है। धारण करने के पूर्व इसे गंगाजल से धोकर दूध में स्नान कराना चाहिए, उसके बाद पुन: गंगाजल से धोकर गुरु ग्रह के निम्न मंत्र- ॐ बृं बृहस्पतये नमः अथवा ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः, से धारण करना चाहिए। यदि अंगूठी में पुखराज धारण नहीं करना चाहते हैं तब इसे लॉकेट में गुरु यंत्र के साथ भी पहन सकते हैं। अंगूठी कैसे बनवाएें- अंगूठी में पुखराज इस प्रकार जड़वाना चाहिए कि निचला सिरा खुला हो और उंगली से स्पर्श करता हो। पुखराज कम से कम चार रत्ती या इससे अधिक का बनवाना चाहिए। पुखराज लेते समय देख लेना चाहिए कि उसमें कोई दोष तो नहीं है। अंगूठी बनवाने में भी ध्यान रखना चाहिए कि इसका समय सूर्योदय से लेकर दिन के ग्यारह बजे के बीच हो। पुखराज का निश्चित समय- पीला पुखराज अंगूठी में जड़वाने के दिन से 4 वर्ष, 3 माह, 18 दिन तक ही एक व्‍यक्ति के पास प्रभावक होता है। इसलिए इतनी अवधि के बाद इसे उतार देना चाहिए या किसी अन्य को दे देना चाहिए।

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