बाबाओं का विभाग चिंतित है

राम रहीम के बाद चिंतित है दिल्ली के असली बाबाओं का विभाग|
धर्म के नाम पर अंधविश्वास धोखाधडी की कतार के चलते -चलते अब ढोगीं बाबाओं की बाढ आ गई है राम रहीम की करतूतों को देखने व सुनने के बाद अब भक्तगण बाबाओं से तौबा कर रहे हैं, बाबा और महंत सावधान हो गए हैं,चिंता इज्जत और धर्म को पहुँच रहे आघात की भी है| सच्चे संतों-महंतों को भी अब लगने लगा है कि धर्म का चोला पहन कर अधर्म की लीला करने वालों के कारण उन धर्मगुरुओं के प्रति जनता का भरोसा घट रहा है, जो वास्तविकता में धर्म-कर्म के कार्य में सलग्न हैं | कालका जी मंदिर के महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत कहते हैं कि नेता पकड़ा जाता है तो राजनीति बदनाम नहीं होती, डॉक्टर पकड़ जाये तो डॉक्टरी बदनाम नहीं होती लेकिन धर्मिक बाबा पकड़ा जाता है तो पूरा धर्म बदनाम हो जाता है, क्योंकि लोगों की आस्था जुड़ी है, लोग भरोसा करते हैं, यह धर्म पर बड़ा आघात है और एक धर्म गद्दी पर बैठे होने के नाते मैं भी आहत हूँ| धर्म कोई भी हो, इंसान को भगवान की तरह पूजन के लिए नहीं कहता | जैन संत जयंत मुनि भी राम रहीम मामले में धर्म को लेकर नकारात्मक छवि बनाने का दोषी मानते हैं उन्हें भी यह चिंता है कि लगातार तथाकथित बाबाओं के आचरण से आस्था को आघात पहुँच रहा है जैन मुनि कहते हैं कि लोगों को भी समझना चाहिए कि वह अंधभक्ति न करें, किसी भी साधु- संत को उसके आचरण से पहचानें न कि उसके तामझाम और सत्ता बल से पहचानें| गुरमीत राम रहीम से पहले भी कई ढोंगी बाबा जेल में हैं और अभी भी कई बाबा धर्मिक चोला ओढ़कर अधर्म का आचरण कर रहे हैं अब असली और नकली बाबा की पहचान करना इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि इन पाखंडियों के चम्मचें जनता की नज़रों पर अंधीआस्था का चश्मा चढ़ा देतें हैं| भरत जी के भारत देश में कुछ धर्मों में तो मठ बनाना और मठाधीश बनना सर्वथा निषेध है लेकिन दाम-नाम के लिए अब उनमें भी सेंध लगने लगी है |

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