हे राम दुबारा मत आना


हे राम दुबारा मत आना 

 हे राम दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान नही,

90 करोड़ इन मुर्दों में, अब बची किसी में जान नही,

भाई भाई के चक्कर में अब, अपनी बहनो का ज्ञान नही,

इतिहास भी रो कर शाँत हो गया, भगवा पर अभिमान नही,

अब याद इन्हे बस अकबर है, राणा का बलिदान नही,

हल्दी घाटी सूनसान हो गयी, चेतक का तूफान नही,

हिंदू भी होने लगे दफ़न, अब जलने को शमशान नही,

बहनो की चीखें गूँज रही, सनातन का सम्मान नही,

गैर धर्म ही इनके सब कुछ हैं, अब महादेव भगवान नही,

हे राम दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान नही........

 

Share:

0 comments