मोक्षमार्ग
मोक्षमार्ग में नहीं है मठ, मोह और हिंसा के लिए कोई वाईपास रास्ता -:पी. एम. जैन (चीफ एडिटर)
भगवान महावीर स्वामी जन्म जयंती महोत्सव हम सब ने मिलजुल कर मनाया हैं गाँव नगर शहरों में पूजा-पाठ, शोभायात्रा, प्रभात फेरी इत्यादि माध्यमों से देश विदेश में भी पावन पर्व बडे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है और हर वर्ष सदैव मनाया जाता रहा है और भविष्य में भी सदैव मनाया जाता रहेगा ! क्योंकि यह महामहोत्सव अहिंसा के पुजारी और परिग्रह के सच्चे त्यागी का महोत्सव है| भगवान महावीर स्वामी हकीकत में सच्चे परिग्रह के त्यागी और अहिंसा के पुजारी थे !
विचार कीजिए कि एक राजशाही परिवार के सदस्य होते हुए भी भगवान महावीर सच्चे त्याग के कारण अपने जीवन काल में अपने अनुयायिओं के वास्ते अपने ही नाम एक मठ तक नहीं बनवा सके और ना ही भगवान महावीर ने अपने शिष्यों को मठ परम्परा की प्रेरणा दी! क्योंकि जिसने घर परिवार त्याग ही दिया तो फिर उसे घर रूपी मठ जैसे परिग्रह की क्या आवश्यकता है | मोक्षमार्ग में मठ, मोह और हिंसा के लिए कोई वाईपास रास्ता नहीं होता है |
भगवान महावीर स्वामी से अनेकों समुदायों के पूज्यवरों ने अहिंसा महाव्रत धारण किया और अपने अपने समुदायों में अहिंसा को मुख्य रूप से प्रधानता दी | लेकिन दुःख तब होता है जब आज की मौजूदा सरकारों के कुछ नेतागण देश विदेश की धरती पर अहिंसा पर भाषण देते हैं तो अहिंसा के नायकों का नाम तो बारबर लेते हैं लेकिन अहिंसा के मूल नायक भगवान महावीर स्वामी का नाम अधिकाँश तौर पर भूल जाते हैं |
आज देश दुनियाँ में अनेकों धार्मिक समुदाय हैं और सभी समुदाय के लोग अपने अपने प्रभु और गुरूओं के प्रति निष्ठावान, श्रद्धावान, आस्थावान हैं और सभी अपने अपने भगवंतों के नाम के प्रति दिल से समर्पित भी हैं लेकिन 2617 वें के पावन पर्व विचार कीजिए कि आज हम उन पूज्य भगवंतों द्वारा बतालाई गई बातों को ग्रहण करने के उपराँत अपने भगवंतों की बातों पर कितना चलते हैं ! और जो लोग वास्तविक रूप से अपने भगवंतों के संदेशों पर चलते हैं आचरण में धारण करते हैं वही कुछ गिने चुने लोग महावीर के वीर हैं |
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